बचपन
एक कागज पर चित्र बनाया थाअपने बचपन में
अपने ख्यालो को,
रंगा था अपने पसंद के रंगो से
टेढ़े-मेढ़े लकीरो को
खिंचकर
हल्के-गाढ़े रंगो से
सजाया था
उस चित्र ने खुशिया भर दी थी मुझमे,
वाह, वाह, की तारीफो से भी ज्यादा
प्यारा था वो चित्र, मेरे लिए
आज फिर अपने खुशियो का
इजहार करने के लिए
हम बनाना चाहते हैं एक चित्र
एक कागज पर
अपने ख्यालो को,
अपने पसंद के रंगो से सजाकर
उभारना चाहते हैं,
आज भी देती है खुशी वो याद,
जब एक कागज पर एक चित्र बनाया था
अपने बचपन में।
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