यायावर मन
वह ख्वाब क्या है जोमुझको ही मेरे अन्तर्मन में डुबोती है,
किस सोच डुबा रहता हुॅं
मुझे खुद की खबर भी न होती है
क्यों लगता है मुझको मेरे संग
साए की तरह कोई चलता है
देखता हुॅं तो केवल परछाई साथ होती है
क्या कोई राज है मुझमें
जिसे जानने से मैं ही कतरा जाता हुॅं
क्या जानने के लिए मैं
ख्वाबो में भटक जाता हुॅं,
वह चीज क्या है,
जिसे पूरा करने की मेरी अभिलाषा है,
क्या है वह जिसके बिन अॅंधुरी मेरी हर आशा है।
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