सखी December 23, 2023 गलियों में कूदती बागों में झूलती कागज की कश्ती पानी की मछली जुगनू को पकड़ना बालो का उलझना ये मेरी वो तुम्हारी नहीं-नहीं अब मेरी बारी छुपन-छुपाई का खेल झगड़ा-लड़ाई और मेल कुछ तीखी कुछ मीठी आज भी सॅजोकर रखी है सखी तुम्हारी स्मृति। -सुप्रिया वर्मा Read more