शब्द किया किसने निर्मित इसे वर्णो को जोड़कर किस सक्षम की सार्थकता ने किया सार्थक बोलकर, शब्दो से संधि हुई शब्द में विच्छेद हुआ किन्ही शब्दो में मेल हुई किन्ही शब्दो से मतभेद हुआ, शब्द कब तीर से तेज चुभी क्ब तीखी मधुर मुस्कान बनी शब्द कभी औषधि हुई कभी किसी की प्राण बनी, किसने इन शब्दो को भावो में पिरोया है शब्दो के जाल में बुद्धिजीवी खोया है, शब्द कब माध्यम बना व्यक्ति से व्यक्ति के पहचान का शब्द कब आधार बना जीवन के विकास का, शब्द कभी कायर बना कभी वीरो का ललकार भी शब्दो से कभी युद्ध हुआ कभी प्रेम प्रलाप भी, शब्दो से रचा-बसा साहित्य से समाज तक किसने रचा शब्द को वर्ण से वाक्य तक।